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Rabindranath Tagore 
Rajarshi 

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भुवनेश्वरी मंदिर का पत्थर का घाट गोमती नदी में जाकर मिल गया है। एक दिन ग्रीष्म-काल की सुबह त्रिपुरा के महाराजा गोविन्दमाणिक्य स्नान करने आए हैं, उनके भाई नक्षत्रराय भी साथ हैं। ऐसे समय एक छोटी लडकी अपने छोटे भाई को साथ लेकर उसी घाट पर आई। राजा का वस्त्र खींचते हुए पूछा, ‘तुम कौन हो?’
राजा मुस्कराते हुए बोले, ‘माँ, मैं तुम्हारी संतान हूँ।’
लडकी बोली, ‘मुझे पूजा के लिए फूल तोड़ दो ना!’
राजा बोले, ‘अच्छा, चलो।’
अनुचर बेचैन हो उठे। उन्होंने कहा, ‘महाराज, आप क्यों जाएँगे, हम तोड़े दे रहे हैं।’
राजा बोले, ‘नहीं, जब मुझे कहा है, तो मैं ही तोड़ कर दूँगा।’
राजा ने उस लडकी के चेहरे की ओर ताका। उस दिन की निर्मल उषा के साथ उसके चेहरे का सादृश्य था। जब वह राजा का हाथ पकड़े मंदिर से सटे फूलों के बगीचे में घूम रही थी, तो चारों ओर के लता-पुष्पों के समान उसके लावण्य भरे चेहरे से निर्मल सौरभ का भाव प्रस्फुटित होकर प्रभात-कानन में व्याप्त हो रहा था। छोटा भाई दीदी का कपड़ा पकड़े दीदी के संग-संग घूम रहा था। वह एकमात्र दीदी को ही जानता है, राजा के साथ उसकी कोई बड़ी घनिष्ठता नहीं हुई।

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Langue Hindi ● Format EPUB ● Pages 173 ● ISBN 9781329909298 ● Taille du fichier 0.4 MB ● Maison d’édition Sai ePublications ● Publié 2017 ● Téléchargeable 24 mois ● Devise EUR ● ID 5317252 ● Protection contre la copie sans

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