महाकवि के रूप में सुविख्यात जयशंकर प्रसाद हिंदी नाटड्ढ-जगत और कथा-साहित्य में भी एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त और ध्रुवस्वामिनी सरीखे नाटक, तितली, कंकाल और इरावती जैसे उपन्यास तथा आकाशदीप, मधुआ और पुरस्कार जैसी कहानियाँ उनके गद्य लेखन की अनुलंघ्य ऊँचाइयाँ हैं। यहाँ प्रसाद की प्रायः सभी चुनिंदा कहानियाँ संकलित हैं, जिनसे गुजरते हुए हमें न सिर्फ भारतीय दर्शन की सुखवादी मूल्य-मान्यताओं की अनुगूँजें सुनाई पड़ती हैं, बल्कि सामाजिक यथार्थ के अनेक अप्रिय स्तरों तक भी जाना पड़ता है। वास्तव में प्रसाद के लिए साहित्य की रचना एक सांस्कृतिक कर्म है और भारतीय परंपरा के प्राचीन अथवा उसके सनातन मूल्यों में गहन आस्था के बावजूद वे मनुष्य की वैयत्तिफ़क मुत्तिफ़ के आकांक्षी नहीं हैं। व्यत्तिफ़ हो या समाज, वे उसे स्वाधीन और रूढ़िमुत्तफ़ देखना चाहते हैं। यही कारण है कि इन कहानियों में ऐसे अविस्मरणीय चरित्रें का बाहुल्य है, जो स्वाधीनता और मानव-गरिमा को सर्वपरि मानते हैं। इतिहास और संस्कृति के ऐसे अनेक मनोरम दृश्यचित्र इन कहानियों में उकेरे गए हैं, जो हमें न केवल मुग्ध कर देते हैं, बल्कि कुछ सोचने पर भी विवश करते हैं।
भाषा हिंदी ● स्वरूप EPUB ● ISBN 9788194926177 ● फाइल का आकार 0.6 MB ● प्रकाशक Prabhakar Prakshan ● प्रकाशित 2019 ● डाउनलोड करने योग्य 24 महीने ● मुद्रा EUR ● आईडी 8295650 ● कॉपी सुरक्षा Adobe DRM
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