“मैं जन्मजात अभागिनी हूँ। स्त्री जाति का कलंक हूँ। परन्तु मैं निर्दोष हूँ, निष्पाप हूँ। मेरा दुर्भाग्य मेरा अपना नहीं है, मेरी जाति का है, जाति-परम्परा का है; हम पैदा ही इसलिए होते हैं कि कलंकित जीवन व्यतीत करें। जैसे मैं हूँ ऐसी ही मेरी माँ थी, परदादी थी, उनकी दादियाँ-परदादियाँ थीं। मैंने जन्म से ही राजसुख भोगा, राजमहल में पलकर मैं बड़ी हुई, रानी की भाँति मैंने अपना यौवन का शृंगार किया। रंगमहल में मेरा ही अदब चलता था। राजा दिन रात मुझे निहारता, कभी चंदा कहता, कभी चाँदनी। राजा मेरे चरण चूमता, मेरे माथे पर तनिक-सा बल पड़ते ही वह बदहवास हो जाता था। कलमुँहे विधाता ने मुझे जो यह जला रूप दिया, राजा उस रूप का दीवाना था, प्रेमी पतंगा था। एक ओर उसका इतना बड़ा राज-पाट और दूसरी ओर वह स्वयं भी मेरे चरण की इस कनी अंगुली के नाखून पर न्यौछावर था।”
Bahasa Hindi ● Format EPUB ● ISBN 9789390605026 ● Ukuran file 0.9 MB ● Penerbit Prabhakar Prakshan ● Diterbitkan 2019 ● Diunduh 24 bulan ● Mata uang EUR ● ID 8295868 ● Perlindungan salinan Adobe DRM
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